Tuesday, August 8, 2017
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फोन संग ‘कवर’ करें करियर
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August 08, 2017
फोन संग ‘कवर’ करें करियर
"स्मार्टफोन की जरूरत आज हर पल महसूस होती है। ऐसे में इस स्मार्ट डिवाइस को सुरक्षित रखने के लिए इस पर कवर लगवाना आम हो गया है। इससे फोन स्टाइलिश भी दिखता है और सुरक्षित भी रहता है। इन दिनों बाजार में तरह-तरह के फोन कवर्स की खूब मांग है। जो युवा स्वरोजगार से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए इस क्षेत्र में अच्छे अवसर हैं"
P-Point Computorium
मोबाइल कवर मैन्युफैक्चरिंग
आजकल स्मार्टफोन रखना जरूरत ही नहीं, स्टाइल भी हो गया है। इसलिए अपने महंगे फोन को सुरक्षित रखने के लिए लोग इसे कवर में रखते हैं। इससे न सिर्फ यह स्क्रैच दि से बचा रहता है, बल्कि इससे फोन का लुक भी और बढ़िया हो जाता है। यह भी एक कारण है कि लोग अपने फोन को स्टाइलिश बनाने के लिए तरह-तरह के कवर लगाते हैं। इन दिनों बाजार में यह कवर कई किस्मों में उपलब्ध हैं। चाहें, तो कस्टमाइजेशन कराकर इन पर प किसी हीरो-हीरोइन के अलावा अपनी तस्वीर तक लगा सकते हैं। इस बार जानते हैं, दिल्ली स्थित पे बाई डैडी एंटरप्राइजेज के सीईओ नितिन चौधरी की कहानी, जिन्होंने ठ साल पहले इस कारोबार में कदम रखा और ज देश में मोबाइल कवर के बड़े एक्सपोर्टर हैं।
पूंजी एवं संसाधन
नितिन की रुचि शुरू से ही डिजाइनिंग में थी। कुछ साल तक उन्होंने नौकरी भी की, लेकिन मन उसमें नहीं लगा। इसके बाद डिजाइनिंग में ही कोई कारोबार करने का मन बनाया। स्मार्टफोन के बढ़ते मार्केट को देख फोन की कवर मैन्युफैक्चरिंग में उन्हें अच्छा स्कोप दिखा और दो साल पहले उन्होंने इस कारोबार की शुरुत की। फोन का कवर बनाने का यह काम दो तरह से किया जा सकता है। अगर देश भर में बड़े पैमाने पर यह काम करना चाहते हैं, तो फिर इसके लिए अत्याधुनिक मशीनें चाहिए। इससे आप स्टैंडर्ड क्वालिटी का जैसा चाहें वैसा कवर तैयार कर सकते हैं। यह मशीन महंगी होती है, जो करीब 25 लाख रुपये की ती है। कवर मेकिंग के काम में डिजाइनिंग का भी अहम रोल होता है। क्योंकि अपने आकर्षक डिजाइन की वजह से ही यह प्रोडक्ट बिकता है। इसलिए इस काम के लिए डिजाइनिंग की बकायदा एक अलग टीम होती है। अधिक मैनपावर की भी आवश्यकता होती है। इस कारण मशीनों से यह कारोबार करने पर पूंजी अधिक लगती है। लेकिन चाहें, तो छोटे लेवल पर घर बैठे भी 2 से 3 लाख रुपये की पूंजी में यह काम किया जा सकता है। यह एक तरह से कवर बनाने का मैनुअल तरीका है। इसमें हाथ से और कंप्यूटर की मदद से अलग-अलग कस्टमाइजेशन करके कवर तैयार किया जाता है।
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रॉ मैटीरियल के तौर पर इसमें कपड़े, कार्डबोर्ड, पेस्टिंग मैटीरियल, कंप्यूटर और प्रिंटर की आवश्यकता होती है। वहीं, मशीनों से कवर बनाने के लिए रॉ मैटीरियल के रूप में सिलीकॉन और हार्ड प्लास्टिक की वश्यकता होती है।
अनुभव लेकर बढ़ें आगे
नितिन को मोबाइल कवर बनाने के लिए कोई खास ट्रेनिंग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ी, क्योंकि वह इसकी ट्रेडिंग के काम से काफी लंबे समय से जुड़े हुए थे। दरअसल, कवर की ट्रेडिंग का अनुभव रखने वालों के लिए कवर की मैन्युफैक्चरिंग करना थोड़ा सान होता है, क्योंकि उन्हें पहले से इस फील्ड की बारीकियां पता होती हैं। मार्केटिंग का तरीका पता होता है। मार्केट ट्रेंड से भी वाकिफ होते हैं कि लोग किस तरह का कवर लेना अधिक पसंद करते हैं। इसलिए अगर आप भी यह काम शुरू करना चाहते हैं, तो बेहतर यही होगा कि कुछ दिन काम करके कवर की ट्रेडिंग का अनुभव हासिल करें। फिर निर्माण के फील्ड मे आएं। या फिर जहां कहीं भी इस तरह के कवर बनते हैं, वहां कुछ दिन काम करके इसका प्रशिक्षण हासिल करें। यूट्यूब पर भी आजकल आपको तमाम ऐसे वीडियो मिल जाएंगे, जहां से आप मैनुअली मोबाइल कवर बनाने का हुनर सीख सकते हैं।
मार्केट
स्मार्ट फोन का मार्केट ज तेजी से बढ़ रहा है। हर किसी के हाथ में एंड्रॉयड फोन है। कई लोग तो दो-दो फोन रख रहे हैं। साथ में इन्हें सुरक्षित रखना भी एक चैलेंज है। इसीलिए इन दिनों मार्केट में लेदर कवर, प्लॉस्टिक कवर, रबड़ कवर या फिर कपड़े के बने मोबाइल कवर की खूब मांग है। जब जैसा मौका होता है, उसी तरह के कवर भी मार्केट में जाते हैं। यह आइटम आजकल गिफ्ट देने के लिए भी इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए जब भी कभी कोई त्योहार या फिर फ्रेंडशिप डे, रक्षाबंधन, वैलेंटाइन डे जैसा कोई खास मौका होता है, तो उसी थीम और कस्टमाइजेशन के कवर मार्केट में जाते हैं। यही वजह है कवर का डिजाइन और लुक हमेशा बदलता रहता है और इसलिए लोग भी हर महीने-दो महीने पर अपना यह कवर बदलते रहते हैं। महानगरों से लेकर शहर-कस्बे में हर जगह इसकी मार्केट भी है।
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आमदनी
दिल्ली के मोबाइल कवर कारोबारी वर्गीज बताते हैं कि फोन कवर में मार्जिन भी बहुत अच्छा मिलता है। इसकी मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े तमाम लोग खुद कवर न बनाकर चीन से मंगा लेते हैं, जहां से उन्हें यह थोक में 10-20 रुपये में मिल जाता है। इसके बाद इन कवर को अपनी कंपनी में कस्टमाइजेशन करते हैं, इन पर अपना ट्रेडमार्क लगाते हैं और थोक मार्केट में 150 से 200 रुपये में बेचते हैं। यही कवर गे रिटेल मार्केट में 300 से 400 रुपये में बिकता है।
-Post From Dainik Jagran
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